अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाने की क्‍यों जरूरत पड़ी?

राष्ट्रीय

परिवार की शांति विश्‍व शांति का आधार है हर वर्ष के 15 मई को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। सभी लोग यह जानते हैं कि परिवार समाज का बुनियादी आधार है। इसका उद्येश्‍य परिवार के महत्‍व को युवाओं को समझाना है जो वर्तमान समय में सिर्फ टेक्‍नोलॉजी के संपर्क में ही रहते है जिससे वह अपने परिवार से दूर न हो। उनके फेसबुक पर तो हजारों दोस्‍तों का आबार लगा है, लेकिन परिवार के सदस्‍यों के बारे में उन्‍हें बहुत कुछ मालूम ही नही है।


अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई?

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के आवाहन पर प्रत्‍येक साल 15 मई को विश्‍व परिवार दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस का इतिहास बहुत लंबा नहीं है। वर्ष 1989 के 8 दिसंबर को 44वीं संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने एक प्रस्‍ताव पारित करके वर्ष 1994 को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार वर्ष की घोषाणा की। और वर्ष 1993 में आयोजित न्‍यूयार्क विशेष बैठक में वर्ष 1994 से प्रत्‍येक साल के 15 मई को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाने का फैसला किया गया। इसके बाद से विभिन्‍न देशों-विदेश की सरकारें और जनता परिवार से जुड़े मामलों की समझ को उन्‍नत कर सकें, साथ ही साथ परिवार के सामंजस्‍य, खुशहाली व प्रगति को मजबूत कर सकें।


इस वर्ष की थीम ‘फैमिलीज एण्‍ड न्‍यू टेक्‍नालॅाजी’

अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस के इस साल की थीम ‘फैमिलीज एण्‍ड न्‍यू टेक्‍नालॉजी’ से परिवार के युवा सदस्‍य अपने दादा-दादी, नाना-नानी को नई तकनीकी के उपयोग को सीखने-समझाने में मदद करें, ऐसे ही बड़ी उम्र के सदस्‍य युवाओं में मूल्‍यों को स्‍थापित करने की भूमिका निभायें तो बेहतर परिवार व समाज की रचना की जा सकती है। विश्‍व परिवार दिवस 15 मई के अवसर का उपयोग हम इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कर सकते है।

भारत में भी मनाया जाता है अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस
भारत में विगत दो वर्ष में कोविड-19 महामारी से उत्‍पन्‍न वैश्र्विक संकट के समय लॉकडाउन की वजह से परिवारों की तकनीकी निर्भरता भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ी है। कोई भी कार्य शिक्षा, आवश्‍यक वस्‍तुओं सेवाओं की खरीद, सुदूर बैठे रिश्‍तेदारों से संपर्क आदि सभी कार्य ऑनलाईन ही किया जा रहा था। ऐसे में नई तकनीकी के महत्‍व को विशेष तौर पर पहचाना गया। साथ ही इनके उपयोग की आवश्‍यकता को महसूस किया गया। वही बिट्टु कुमार सिहं, झारखण्‍ड केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के जन संचार विभाग के छात्र के द्वारा एक स्‍वस्‍थ समाज के निर्माण हेतु परिवार के महत्‍व एवं उपयोगिता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए आस-पास के परिवार वालों को परिवार के महत्‍व के बारे में समझाया।

बिट्टु कुमार सिंह, झारखण्‍ड़ केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के जन संचार विभाग के छात्र

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