नई दिल्ली, 08 मई : तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों पर हमले किये जाने के फर्जी वीडियो का कथित तौर पर प्रसार करने को लेकर जेल भेजे गये ‘यूट्यूबर’ मनीष कश्यप की एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सोमवार को सुनवाई होने का कार्यक्रम है। कश्यप के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला द्वारा कश्यप की याचिका पर सुनवाई किये जाने की संभावना है। जगदीशपुर पुलिस थाने (बिहार) में 18 मार्च को आत्मसमर्पण करने के बाद कश्यप को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में उन्हें तमिलनाडु ले जाया गया, जहां अप्रैल में उनके खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज किया गया।
उनके खिलाफ तमिलनाडु में छह और बिहार में तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। कश्यप की याचिका के जवाब में दाखिल किये गये अपने हलफनामे में तमिलनाडु सरकार ने कहा है,‘‘कई प्राथमिकियां दर्ज करने के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है, बल्कि इसलिए दर्ज की गई हैं कि उन्होंने दक्षिणी राज्य में प्रवासियों पर हमले किये जाने के फर्जी वीडियो का प्रसार कर लोक व्यवस्था और राष्ट्रीय अखंडता में खलल डाला।”
हलफनामे में कहा गया,‘‘वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग सावधानी और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए। सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता को भंग कर आरोपी संवैधानिक अधिकारों की आड़ में नहीं छिप सकता।” शीर्ष अदालत ने 21 अप्रैल को राज्य सरकार को कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कश्यप की रासुका के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर तमिलनाडु और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था। कश्यप को पांच अप्रैल को मदुरै जिला अदालत में पेश किया गया था, जिसने आदेश दिया कि उसे 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए। इसके बाद उसे मदुरै केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
कश्यप ने अपनी याचिका में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के खिलाफ कथित हिंसा का मुद्दा मीडिया में उठा था और याचिकाकर्ता एक मार्च से सोशल मीडिया मंच पर वीडियो बनाकर तथा ट्वीट कर इसके खिलाफ आवाज उठा रहा था।