दिल्ली : समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर हो रही सुनवाई का सीधा प्रसारण यानी लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग का विरोध करते हुए केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में आपत्तिजनक टिप्पणियों पर हाई कोर्ट ने मंगलवार को गहरी नाराजगी जाहिर की। केंद्र सरकार ने हलफनामा में कहा है कि इस मामले में न तो राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा जुड़ा है और न ही मौलिक अधिकार का उल्लंघन शामिल है।
इसलिए इसका सीधा प्रसारण नहीं किया जा सकता है। साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण की मांग करने वाले अनावश्यक प्रचार पाने का प्रयास कर रहा है। उसका एकमात्र इरादा जनहित में भ्रम पैदा करना और मामले को सनसनीखेज बनाना है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि ऐसा हलफनामा मंत्रालय से नहीं आना चाहिए था। वकील को इसे पढ़े बगैर दाखिल नहीं करना चाहिए था।
पीठ को बताया गया कि सरकार का हलफनामा दाखिल हो गया है, लेकिन यह रिकॉर्ड में नहीं है। इसके बाद न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से कहा कि ‘क्या आपने हलफनामा पढ़ा है। हम आपको इसे रिकॉर्ड में नहीं रखने और इस पर पुनर्विचार करने की सलाह देते हैं।
पीठ ने अधिवक्ता से कहा कि इसे आप अदालत के रिकार्ड में नहीं रखें। यह उचित/सही नहीं है। पीठ ने कहा कि हलफनामा मंत्रालय से नहीं आना चाहिए था और आपको इसे पढ़े बगैर दाखिल नहीं करना चाहिए था। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।
बिट्टु कुमार सिंंह