अवैध नर्सिंग होम में फिर एक प्रसव पीड़िता की हुई मौत, 22 दिनों के हुई तीन महिलाओं की मौत

छपरा बिहार स्वास्थ

बिहार (सारण) : तरैया प्रखंड में धड़ल्ले से चल रहे अवैध नर्सिंग होम में डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। विगत 20 दिनों में यह तीसरी घटना है, जहां प्रसव के दौरान फिर एक महिला की मौत हो गई है। मृतका तरैया थाना क्षेत्र के डुमरी छपिया निवासी मुकेश कुमार की 25 वर्षीय पत्नी अंजली कुमारी बताई जाती है। जिसे गुरुवार की सुबह लगभग 3-4 बजे प्रसव पीड़ा होने के बाद नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि डिलीवरी तो नॉर्मल हो गई लेकिन प्रसूता की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और अंतिम समय में नर्सिंग होम की संचालिका द्वारा रोगी को बिना नाम पता बताएं मोबाइल के भरोसे उसे पटना रेफर कर दिया गया, जहां एक निजी अस्पताल में पहुंचकर महिला की मौत हो गई।

मेडिकल टीम ने क्षेत्र मे अवैध नर्सिंग होम का किया था जांच, 26 संचालित नर्सिंग होम में मात्र पांच तक ही पहुंच सकी थी जांच टीम

महिला की मौत के बाद भी पटना स्थित निजी अस्पताल द्वारा परिजनों से साठ हजार रुपये की मांग की गई लेकिन मौत होने के बाद परिजनों ने तरैया स्थित क्लीनिक पर हंगामा करना शुरू कर दिया। जिसके बाद महिला चिकित्सक ने पटना फोन करके कुछ पैसे कम करा कर मृतका के शव को परिजनों को दिलवा दिया। शव लेकर परिजन तरैया के अपना मार्केट स्थित अवैध नर्सिंग होम की संचालिका प्रतिभा सोनी के क्लिनिक पहुंचे तब तक कथित महिला चिकित्सक अपने स्टाफ के साथ वहां से फरार हो चुकी थी। जिसके बाद परिजनों ने क्लिनिक पर जमकर हल्ला हंगामा करना शुरू कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही तरैया थाने की पुलिस मौके पर पहुंची एवं हंगामा कर रहे परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया तथा परिजनों द्वारा लिखित शिकायत देने पर चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

जिसमें बिना डिग्रीधारी डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है और विगत 22 दिनों के अंदर मौत की यह तीसरी घटना सामने आई है।मौत के बाद अवैध नर्सिंग होम के संचालक और उनके समर्थक शवों का तीन से चार लाख में सौदा करने में जुट जाते है।ताकि थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सके।हालांकि तरैया के निजी क्लिनिको में लगातार हो रहे मौत की खबर पर सारण डीएम ने संज्ञान लिया था।जिसके आलोक में 18 अगस्त को जिला स्तरीय टीम ने तरैया के दर्जनों अवैध नर्सिंग होम का जांच किया था। बाकी को नोटिस भेजी गई थी। तीन क्लिनिक को सील किया गया था। जांच टीम के आने की खबर पर अवैध नर्सिंग होम के संचालकों में हड़कंप मच गया था। सभी अपना क्लीनिक बंद कर फरार हो गए थे। अभी क्लिनिक से बोर्ड हटा लिया गया है। लेकिन उसके बाद भी संचालक चोरी छिपे मरीजों का उसी क्लिनिक में उपचार कर रहे है।जिस क्लिनिक में घटना हुई है। जिला स्तरीय जांच टीम द्वारा अगर जांच के दौरान इस क्लिनिक को सील कर दिया गया होता तो शायद इस महिला की मौत नही होती। अब देखना यह है की प्रशासन द्वारा इस पर क्या करवाई की जाती है।

परिजनों ने जमकर किया हंगामा, काटा बवाल

ज्ञातव्य हो कि तरैया में बिना अनुभव के तथाकथित चिकित्सकों द्वारा चलाए जा रहे अवैध नर्सिंग होम की भरमार है। जिसके खिलाफ हाल ही में । नोटिस देने के बावजूद भी अवैध धंधे से अवैध कमाई कर रहे मौत के सौदागरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और मौत का यह खेल लगातार जारी रहा, नतीजा 20 दिनों के अंदर यह मौत की तीसरी घटना सामने आई। बताते चले कि तरैया के लिए इस तरह की घटना कोई बड़ी बात नहीं है और पहले भी अवैध नर्सिंग होम में चिकित्सकों की लापरवाही के कारण ऐसी मौतें होती रही है। हालांकि मरीज की मौत होते ही इन मौत के ठेकेदारों द्वारा पाले गए दलाल सक्रिय हो जाते हैं और पीड़ित परिवार को पहले तो डरा धमका कर मैनेज करने की कोशिश करते है, नहीं मानने पर रुपये पैसों का प्रलोभन और सामाजिक दबाव देकर मामले को रफा-दफा किया जाता रहा है। समाचार प्रसारित होने तक इस मामले में भी तथाकथित बिचौलियों एवं दलालों द्वारा परिजनों को बरगलाने की कोशिश जारी थी एवं प्रलोभन देकर के अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम एवं तथाकथित चिकित्सक पर कानूनी कार्रवाई न करने का दबाव बनाया जा रहा था।

हाल ही में रेफरल अस्पताल तरैया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रीनाथ प्रसाद द्वारा तरैया में संचालित 26 अवैध नर्सिंग होम, 7 अवैधयू अल्ट्रासाउंड एवं 10 अवैध पैथोलॉजी जांच घर की सूची सिविल सर्जन को भेजी गई थी। जिसके बाद जिला से आई चिकित्सकों की टीम के साथ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने गत 18 अगस्त को सात अवैध नर्सिंग होम एवं दो अल्ट्रासाउंड सेंटर का जांच किया गया था। जिसमें तीन नर्सिंग होम को सील किया गया था। लेकिन अन्य नर्सिंग होम जांच से वंचित रह गए थे। और फिर अवैध नर्सिंग होम के चिकित्सक ने एक मरीज की जान ले ली। सम्भवत अगर इन सभी अवैध नर्सिंग होम का जांच हुआ होता तो उक्त महिला की मौत शायद नहीं होती। हालांकि अवैध नर्सिंग होम संचालकों में हड़कम्प है फिर भी उन्हें कानून का किसी तरह का कोई व भय नही है।

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