• छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसंभव कोशिश
• समुदाय में जागरूकता के लिए सीएस ने सारथी रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवान
• महिला बंध्याकरण से सरल व सुरक्षित है पुरुष नसबंदी
छपरा,17 नवंबर :परिवार नियोजन ना केवल बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए जरूरी है, बल्कि बच्चों के बेहतर लालन-पालन और मां के स्वास्थ्य के लिहाज से भी मह्त्वपूर्ण है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने सारथी रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए कही। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन अपनाकर दो बच्चों के बीच में अंतर रखा जा सकता है। जिससे उनकी सही तरीके से देखभाल की जा सके। दंपति संपर्क सप्ताह के दौरान आशा कार्यकर्ताओं के स्तर से जिन लोगों की सूची बनाई गई है, उन महिलाओं का बंध्याकरण और पुरुषों की नसबंदी, अभियान के दौरान अनिवार्य रूप से करानी है। ताकि जिला स्तर से प्राप्त लक्ष्य की प्राप्ति की जा सके। इसके साथ हीं लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक किया जाएगा। जिले में 14 नवंबर से 4 दिसंबर तक मिशन परिवार विकास अभियान के अंतर्गत पुरुष नसबंदी पखवाड़ा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। पखवाड़ा दो चरणों में आयोजित किया जाएगा। पहले चरण में 14 से 20 नवंबर तक “दंपति संपर्क सप्ताह” एवं 21 नवंबर से 4 दिसंबर तक “परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा” का आयोजन किया जाएगा। मौके पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, एसीएमओ डॉ. एचसी प्रसाद, डीआईओ डॉ. चंदेश्वर सिंह, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार, डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, डीएमएंडई ब्रजेश कुमार, गौरव कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसंभव कोशिश:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार ने कहा कि परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसंभव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आएं और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है, यह गलत धारणा है। इसको मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम को अपना सकते हैं। वहीं परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
ग्रामीण इलाकों में सारथी रथ के माध्यम से किया जाएगा जागरूक :
सारथी रथ के माध्यम लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक किया जाएगा। सारथी रथ जिले के प्रत्येक पंचायतों में पहुंच कर लोगों को परिवार नियोजन कब करानी है, इससे क्या लाभ है, किसे करानी चाहिए इन सभी बातों से ग्रामीणों को अवगत कराया जाएगा। इन सब के अलावा नवदंपति को यह भी बताया जाएगा कि पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूर रखें।
अधिक सरल है पुरुष नसबंदी:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई प्रकार का भ्रम फैला हुआ है। इस भ्रम को तोड़ना होगा। छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुष को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है।