बिहार: उत्तर भारत में इस त्योहार का विशेष महत्व है. दिवाली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है जो कि चार दिनों तक मनाया जाता है.
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। यह माना जाता है कि प्राचीन काल में, छठ पूजा हस्तिनापुर के द्रौपदी और पांडवों द्वारा उनकी समस्याओं को हल करने और अपना खोया राज्य वापस पाने के लिए मनाया जाता था। सूर्य की पूजा करते समय ऋग्वेद ग्रंथों के मंत्रों का जाप किया जाता है। जैसा कि कहानी आगे बढ़ती है, इस पूजा की शुरुआत सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी, जिन्होंने महाभारत के युग के दौरान अंग देश पर शासन किया था।
ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में सूर्य देव और छठी मईया की अराधना करने से व्रती को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। षष्ठी देवी की पूजा से संतान को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद भी मिलता है।
छठ पूजा कब मनाई जाती है?
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है। ये महापर्व चार दिन तक चलता है, जिसमें सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस वर्ष छठ 28 अक्टूबर 2022 से नहाए-खाए के साथ शुरू होगी। वहीं, 29 अक्टूबर 2022 को खरना है। जबकि 30 अक्टूबर को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 31 अक्टूबर को सुबह में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन हो जाएगा। छठ पूजा में महिलाएं संतान की लंबी आयु, स्वास्थ जीवन और सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।
जानिए छठ पूजा 2022: छठ पूजा, नहाय खाय और खरना की सही तिथि और अर्घ्य का समय?
छठ में महिलाएं संतान की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. पहले दिन नहाय खाय से व्रत शुरू होता है.
कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है. छठ पूजा में महिलाएं संतान की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं.
28 अक्टूबर 2022 को है नहाय खाय
पहले दिन यानी 28 अक्टूबर को नहाय खाय है. इसी दिन से छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है. नहाय खाय के दिन महिलाएं स्नान के बाद घर की साफ सफाई करती हैं. इस व्रत में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. नहाय खाय के दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है. इन भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग किया जाता है.
खरना 29 अक्टूबर 2022
दूसरे दिन खरना होता है. व्रती महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं. उसे रात में ग्रहण करती हैं. इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इसके बाद से 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है.
30 अक्टूबर 2022 छठ पूजा पहला अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. व्रती नदी, तालाब या फिर घर में ही पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं.
सूर्यास्त का समय – शाम 5 बजकर 37 मिनट
31 अक्टूबर 2022 को सुबह वाला अर्घ्य
चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है. फिर व्रत का पारण किया जाता है.
सूर्योदय समय- सुबह 6 बजकर 31 मिनट