सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर में ससुर ने विधवा बहू का किया कन्यादान, भैंसुर बने भाई

छपरा

छपरा : सारण के सोनपुर प्रखंड में एक ससुर ने अपनी विधवा बहू (28) का कन्यादान किया। मंगलवार को अपने हाथों ने उन्होंने हरिहरनाथ मंदिर में बहू का विवाह संपन्न कराया। वहीं उसके भैंसुर ने एक भाई का रिश्ता निभाते हुए अपने छोटे भाई की विधवा को विदाई का रस्म अदा किया। ससुराल वालों द्वारा उठाये गए इस कदम का पूरे जिले में सराहना हो रही है।इस बात की जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने बताया बताया कि गोला बाजार के अशोक साह के पुत्री चांदनी कुमारी का शादी दिसंबर 2017 में परमानंदपुर के शिवपुर गांव में सुरेंद्र प्रसाद साह के पुत्र चंदन कुमार के साथ हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। चंदन दिल्ली के एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करता था, दिल्ली में अचानक से तबियत खराब होने के बाद दो महीने तक इलाज चला।इसके बाद 9 जून 2021 को बीमारी से मृत्यु हो गई। इसके बाद से चांदनी उदास रहने लगी। उसके ससुर एवं भैंसुर के अलावा घर के सदस्यों द्वारा खुशहाल रखने की कोशिश किया जाता रहा लेकिन कोई असर नही हुआ।
विधवा चांदनी के जीवन खुशहाल न देखकर ससुर ने अपने बहू के शादी अन्य जगहों पर करने का निर्णय लेते हुए लड़का खोजने की सिलसिला शुरू कर दिया। लंबे खोजबीन के बाद राजस्थान के झुनझुन जिला निवासी रोशन लाल के पुत्र नवीन कुमार शाह से विवाह तय हुआ। मंगलवार को हिंदू रीति रिवाज से मंदिर में विवाह सम्पन्न कराया गया। इसमें ससुर ने बेटी की तरह बहू का कन्यादान किया। वहीं उसके भैंसुर व परिवार जनों ने घर के सदस्यों के तरफ इस शादी कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। चांदनी और चंदन से एक पुत्र (3साल) हुआ। उसे ससुर सुरेंद्र प्रसाद साह ने अपने पास अपने पुत्र की अमानत को रखकर अपने विधवा बहू को अपनी बेटी की तरफ विदाई किया। चांदनी बोली- वह बहुत खुशकिस्मत है शादी के बाद चांदनी ने कहा कि वह बहुत खुशक़िस्मत है कि उसे इतने अच्छे ससुराल वाले मिले। चंदन के जाने के बाद जिंदगी बोझ सी लगने लगी थी। कभी सोचा नहीं था कि नई शुरूआत का पाऊंगी। लेकिन ससुर-भैंसुर ने पिता और भाई का फर्ज निभाया। और विधवा बहू को बेटी मानकर मेरी शादी करवाई। बहू काफी उदास रहने लगी थी।विवाहिता के ससुर ने बताया कि पुत्र के मृत्यु के बाद बहू काफी उदास रहने लगी थी। जिसको लेकर सभी परिवार वालों को चिन्ता होने लगी। सभी परिवार वालों के रजामंदी के बाद विधवा बहू को पुत्री समान कन्यादान कर जीवन सुखमय के लिए दुबारा शादी सम्पन्न कराया। शादी के दौरान गांव के तमाम बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

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