संवाददाता हिमालय राज
छपरा : ‘‘न केवल मलेरिया का उपचार, बल्कि हमारी व्यक्तिगत और सामुदायिक परिवेश में स्वच्छता एवं मलेरिया नियंत्रण तथा रोकथाम के प्रति सामुदायिक जागरूकता दोनों मलेरिया के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई और 2030 तक देश से मलेरिया के उन्मूलन के हमारे लक्ष्य को पूरा करने के लिए जरुरी है’’. उक्त बातें केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कही. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आवश्यकता स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली को प्रगतिशील रूप से मजबूत करने और बहु-क्षेत्रीय समन्वय और सहयोग में सुधार करने पर अधिक ध्यान देने की है.
प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “वैश्विक मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग” है.
प्रौद्योगिकी और नवाचार का प्रयोग जरुरी:
डॉ मंडाविया ने राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से मलेरिया उन्मूलन को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाने से भारत की मलेरिया उन्मूलन योजना को आगे बढ़ाने और बेहतर स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और गरीबी उन्मूलन में योगदान देने के लिए टेलर मेड समाधान विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आशा, एएनएम और सहयोगी संगठनों सहित जमीनी स्तर के फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निदान, समय पर और प्रभावी उपचार और वेक्टर नियंत्रण उपायों के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि निजी चिकित्सकों सहित निजी क्षेत्र को अपने मलेरिया मामले के प्रबंधन और रिपोर्टिंग और संबंधित गतिविधियों को राष्ट्रीय कार्यक्रम के साथ जुड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अभिनव प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत की “ई-संजीवनी” ने टेली-परामर्श और टेली-रेफरेंसिंग के लिए मार्ग दिखाया है. इसका मलेरिया सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के निदान और उपचार के लिए व्यापक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है.
मलेरिया मामलों में 86.45% एवं मौतों में 79.16% की कमी:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मलेरिया उन्मूलन में मिली सफलता के बारे में भी विस्तार से बताया। डॉ मंडाविया ने कहा कि भारत ने मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारे प्रयासों के परिणामस्वरूप 2015 की तुलना में 2021 में मलेरिया के मामलों में 86.45% की गिरावट आई है और मलेरिया से संबंधित मौतों में 79.16% की कमी आई है। देश के 124 जिलों में मलेरिया के शून्य मामले सामने आए हैं। यह मलेरिया के उन्मूलन के लिए हमारे लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन मलेरिया मुक्त भारत के सपने को पूरा करने के लिए अभी भी और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है.
जमीनी स्तर पर किया जा रहा कार्य:
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने कहा कि वर्ष 2030 तक मलेरिया को दूर करने की दिशा में एक मिशन मोड पर काम चल रहा है। केन्द्र सरकार मलेरिया के बोझ को कम करने के लिए जमीनी स्तर पर ढांचागत सुधार और प्रयोगशाला सहायता के लिए राज्य सरकारों के साथ काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि परीक्षण और उपचार में अधिक प्रयास किए जाते हैं, तो भारत 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के सपने को प्राप्त कर लेगा।
इस दौरान एकीकृत वेक्टर प्रबंधन 2022 पर एक मैनुअल जारी किया गया। गणमान्य व्यक्तियों ने सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के साथ समय पर 2030 तक मलेरिया को खत्म करने के लिए उचित व्यवहार और प्रथाओं का पालन करने का संकल्प लिया। मलेरिया उन्मूलन पर अनुकरणीय कार्य करने वाले राज्यों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राजेश भूषण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव; विकास शील, एएस और एमडी (एनएचएम); डॉ हरमीत सिंह ग्रेवाल, जेएस (एमओएचएफडब्ल्यू); डॉ अतुल गोयल, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक; डॉ सुजीत सिंह, निदेशक, एनसीडीसी; डॉ तनु जैन, निदेशक, एनसीवीबीडीसी; और अन्य वरीय अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिक ओफ्रिन भी उपस्थित थे।