बिहार में दिहाड़ी मजदूर से भी कम वेतन पर हुई सरकारी कर्मचारियों की बहाली

बिहार राज्य राष्ट्रीय

बिहार: 10 लाख नौकरी का वादा करने वाले बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव क्या बिहार के बेरोजगारों के साथ बाजीगरी कर रहे हैं? तेजस्वी यादव ने आज स्वास्थ्य विभाग में जिन लोगों को नियुक्ति पत्र बांटा उससे यही सवाल उठ रहा है. तेजस्वी ने नीतीश के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग के 9 हजार 469 कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटा. कहा-हमने एक साथ हजारों नौकरी देकर इतिहास रच दिया है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि ये सभी कर्मचारी तीन महीने पहले एनडीए सरकार के समय ही चयनित हो चुके थे. महीनों बाद उन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया औऱ इतिहास रचने का दावा कर दिया गया. जिन 9 हजार 469 कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र दिया गया उनका वेतन दिहाड़ी मजदूर या सरकारी चपरासी से भी कम है. ये सारे संविदा पर नियुक्त कर्मचारी हैं.

नौकरी के नाम पर बाजीगरी

पटना में आज बड़ा सरकारी जलसा हुआ. इसमें नीतीश कुमार औऱ तेजस्वी प्रसाद यादव के हाथों स्वास्थ्य विभाग के 9 हजार 469 कर्मचारियों को सरकारी नियुक्ति पत्र दिया गया. इनमें 8 हजार 517 नर्स, 26 जिला कम्युनिटी मोबलाइजर, 190 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर और 579 काउंसलर शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा-आज बिहार ने इतिहास रच दिया. एक दिन में ही एक ही विभाग के नव चयनित 9 हजार 468 स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपा. बिहार ने जो राह दिखायी है अब पूरे देश को हमारे नौकरी-रोजगार के मुद्दे पर आना ही होगा. हमने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में उदाहरण स्थापित किया. अब माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में उदाहरण स्थापित कर रहे हैं.

अब इन नौकरियों की हकीकत जान लीजिये

तेजस्वी यादव जिन नियुक्ति पत्रों को बांट कर इतिहास रचने का दावा कर रहे हैं उनकी बहाली प्रक्रिया सालों पहले शुरू हुई थी. शुक्रवार को सबसे बडी तादाद में एएनएम को नियुक्ति पत्र बांटा गया. उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया डेढ़ साल पहले शुरू हुई थी. यानि जून 2021 में राज्य स्वास्थ्य समिति ने बिहार में 8 हजार 853 एएनएम की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे. सारी प्रक्रिया पूरी होने में करीब 13 महीने लगे. आखिरकार 30 जुलाई 2022 को राज्य स्वास्थ्य समिति ने 8517 एएनएम की नियुक्ति का फाइनल सेलेक्शन लिस्ट जारी कर दिया था. बता दें कि जुलाई 2022 में बिहार में जेडीयू और भाजपा की सरकार थी.तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार ने आज स्वास्थ्य विभाग के 579 काउंसलर को नियुक्ति पत्र दिया. काउंसलर पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया तो फरवरी 2020 में ही शुरू हुई थी. राज्य स्वास्थ्य समिति ने फरवरी 2022 में काउंसलर पद के लिए विज्ञापन निकाला था. उनकी बहाली की प्रक्रिया पूरी होने में लगभग ढ़ाई साल लगे. जुलाई 2022 में ही राज्य स्वास्थ्य समिति ने बहाली प्रक्रिया पूरी कर 579 काउंसलर की नियुक्ति का फाइनल लिस्ट निकाल दिया था. उस समय भी बिहार में एनडीए की ही सरकार थी.उसी तरह से स्वास्थ्य विभाग में 190 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर की बहाली के लिए नियुक्ति प्रक्रिया जून 2020 में ही शुरू की गयी थी. दो साल में बहाली प्रक्रिया पूरी हुई और उसका रिजल्ट महीनों पहले तभी निकाल दिया गया था जब बिहार में भाजपा-जेडीयू की सरकार थी. ऐसा ही हाल 26 जिला कम्युनिटी मोबलाइजर का है, उनकी नियुक्ति भी एनडीए सरकार के समय हो चुकी थी. ऐसे तमाम लोगों का रिजल्ट आने के लगभग तीन महीने बाद नियुक्ति पत्र बांटा गया. बड़ा सरकारी जलसा हुआ औऱ दावा कर दिया गया कि इतिहास रच दिया गया. लेकिन इन नियुक्ति की सबसे बड़ी बात तो अभी बाकी ही है. तेजस्वी यादव पिछले तीन सालों से समान काम के लिए समान वेतन की बात करते रहे हैं लेकिन जिन लोगों को आज उन्होंने नियुक्ति पत्र बांटा उनका वेतन जानकर आप हैरान रह जायेंगे. इन सरकारी कर्मचारियों का वेतन दिहाड़ी मजदूर और चपरासी से भी कम रखा गया है.

चपरासी से भी कम वेतन पर नियुक्ति

दरअसल स्वास्थ्य विभाग के जिन 9 हजार 469 कर्मचारियों को आज नियुक्ति पत्र दिया गया है वे सब संविदा पर नियुक्त किये गये हैं. उनका वेतन इतना कम रखा गया है कि आप हैरान हो जायेंगे. बाजार में आज एक दिहाड़ी मजदूर की दैनिक मजदूरी भी 500 रूपये प्रति दिन है. तेजस्वी यादव ने आज जिन सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र दिया उन्हें उतना पैसा भी नहीं मिलेगा.

एएनएम को मिलेगा साढ़े 11 हजार रूपये महीना

स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा 8हजार 517 नर्सों की नियुक्ति की गयी है. सरकारी अस्पतालों में तैनात की गयीं इन नर्सों को हर महीने साढ़े 11 हजार रूपये एकमुश्त मानदेय मिलेगा. इसके अलावा और कुछ नहीं. यानि उनके एक दिन का वेतन लगभग 380 रूपया होगा. दिहाड़ी मजदूर के दैनिक वेतन से भी कम. जिन 579 काउंसलर की नियुक्ति की गयी है उन्हें महीने में 15 हजार रूपये एकमुश्त मानदेय मिलेगा. उससे एक पैसा ज्यादा कुछ भी नहीं. सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर को भी 15 हजार रूपये महीने के एकमुश्त मानदेय पर नियुक्त किया गया है. तेजस्वी यादव ने आज जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र बांटा उनमें सबसे ज्यादा पैसा डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी मोबालाइजर को मिलेगा. किसी जिले में डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी मोबालाइजर का सिर्फ एक पद होगा. लेकिन उनका वेतन जानकर आप और हैरान होंगे. उन्हें हर महीने सिर्फ 20 हजार रूपये मिलेंगे. एकमुश्त मानदेय बाकी औऱ कुछ नहीं. तेजस्वी यादव ने 2020 का विधानसभा चुनाव रोजगार के मुद्दे पर लड़ा था. उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन देने, संविदा पर नियुक्त सारे कर्मचारियों को स्थायी करने का सैकड़ों बार वादा किया था. लेकिन अब वही संविदा पर कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देकर इतिहास रचने का दावा कर रहे हैं. हम आपको बता दें कि किसी भी सरकारी चपरासी को भी संविदा पर नियुक्त इन कर्मचारियों से कम से कम तीन गुना ज्यादा वेतन मिलता है. अगर तेजस्वी ऐसे ही इतिहास रचेंगे तो वाकई बिहार के बेरोजगारों के लिए ये बेहद निराशाजनक बात होगी.

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