सारण, छपरा 14 सितम्बर : 14 सितम्बर 2022 को हिन्दी दिवस के अवसर पर सारण समाहरणालय सभागार में भव्य समारोह का आयोजन जिला प्रशासन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम मे जिला पदाधिकारी श्री राजेश मीणा के साथ बड़ी संख्या में जिला स्तरीय पदाधिकारीगणों के साथ समाहरणालय के कर्मीगण उपस्थित थे। इस अवसर पर पदाधिकारीगण एवं कर्मीगणों ने अपने उद्गार व्यक्त किये।
जिलाधिकारी महोदय के द्वारा अपने संबोधन में सर्वप्रथम जिलावासियों एवं सभागार में उपस्थित सभी पदाधिकारी एवं कर्मीगणों को हिन्दी दिवस की बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा गया कि हिन्दी राष्ट्रभाषा होने के कारण राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। इसके लोकभाषा में इस्तमाल करने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान विभिन्न भाषाओं एवं संस्कृति वाला देश है परन्तु हिन्दी भाषा को संवैधानिक रुप से भारत की अधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा के द्वारा हिन्दी को राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया गया। बिहार हिन्दी भाषी राज्य है यहाँ 1950 से ही राजभाषा अधिनियम लागू है। हिन्दी भाषा राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान तथा जनमानस की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली भाषा है। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा के साथ-साथ भारत में सबसे अधिक बोली या समझी जाने वाली भाषा है। मातृ भाषा हिन्दी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर जिलाधिकारी महोदय ने स्वरचित हिन्दी कविता का पाठ किया।
अपर समाहर्त्ता डॉ गगन ने इस अवसर पर वर्तमान परिस्थिति में हिन्दी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए इसके नैसर्गिक विकास पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कि हिन्दी हमारे देश की सबसे समृद्ध भाषा है। इसे सभी लोग बड़ी सहजता से लिखते, पढ़ते और समझते हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने कार्यों का निष्पादन हिन्दी में ही करें। हिन्दी का अधिक से अधिक उपयोग हीं हिन्दी भाषा साहित्य के विकास एवं विस्तार को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों में भी हिन्दी में कार्य करने हेतु प्रेरित करने की जरुरत है।
इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी सदर, उप निर्वाचन पदाधिकारी, सहायक अनुमंडल पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्त्ता-सह-प्रभारी पदाधिकारी सामान्य शाखा, सहायक कोषागार पदाधिकारी एवं समाहरणालय कर्मीगणों के द्वारा भी अपने उद्गार व्यक्त किये गये।