छपरा,21 जुलाई : कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग कृत-संकल्पित है। भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2023 तक कालाजार उन्मूलन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कालाजार मरीजों की खोज करना अति आवश्यक है। ऐसे में जिले में 22 जुलाई से आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा कालाजार मरीजों की पहचान की जायेगी। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर मरीजों की पहचान करेंगी। इसको लेकर वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार शर्मा ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि उच्च प्राथमिकता वाले राजस्व ग्रामों में घर-घर कालाजार, पीकेडीएल, एचआईबी-भीएल के संभावित मरीजों की खोज आशा कार्यकत्ताओं के माध्यम से कराने का निर्णय लिया गया है।
आरके-39 किट के माध्यम से होगी जांच:
निर्देश दिया गया है कि रोगी खोज के दौरान 15 अथवा 15 दिनों से अधिक बुखार से पीड़ित व्यक्ति जिन्होंने बुखार के दौरान मलेरिया की दवा अथवा एन्टीबायोटिक दवा का सेवन किया हो एवं उसके बाद भी बुखार ठीक न हुआ हो, भूख की कमी एवं उदर का बड़ा होना जैसे लक्षण हो उन्हीं व्यक्तियों की जाँच आरके-39 किट द्वारा किये जाने हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को रेफर किया जाना है । यदि किसी व्यक्ति ने कालाजार का इलाज पूर्व में कराया हो फिर भी उन में बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाये जाएँ तो उन्हें आरके-39 किट से जॉच न करते हुए बोन मैरो, स्पलीन एसपिरेशन जाँच हेतु आशा द्वारा उन मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाय तथा उनके नाम की प्रविष्टी रेफरल पर्ची में की जायेगी ।
आशा कार्यकर्ताओं को दी जायेगी प्रोत्साहन राशि:
एक आशा द्वारा प्रतिदिन मात्र 50 घरों में ही खोज की जानी है। अधिकतम 250 घरों में रोगी खोज करने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में एक मुश्त 200 /- रू० की दर से भुगतान किया जायेगा।आशाओं के कार्यों का पर्यवेक्षण आशा फैसिलिटेटर द्वारा किया जाना है। आशा फैसिलिटेटर को पर्यवेक्षण का एक मुश्त कुल 300/- की दर से भुगतान किया जाना है। रोगी खोज में प्रत्येक आशा को एक रेफरल पर्ची (20 प्रति 10 मरीजों के लिए) उपलब्ध करायी जाय।
माइकिंग के माध्यम से होगा प्रचार-प्रसार:
कालाजार आक्रांत प्रखण्डों के उच्च प्राथमिकता वाले राजस्व ग्रामों में खोज के एक दिन पूर्व ही माइकिंग द्वारा प्रचार-प्रसार कराया जायेगा। आक्रान्त ग्रामों में रोगी खोज के पूर्व ही उस ग्राम के मुखिया को इसकी सूचना दी जाय एवं खोज के दौरान उनसे सहायता ली जायेगी।
कंट्रोल रूम को प्रतिदिन देना होगा प्रतिवेदन:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि भीबीडीएस, केटीएस एवं केबीसी सुनिश्चित करेंगे एवं जाँच किये गये रोगियों की संख्या एवं घनात्मक रोगियों की संख्या जिला स्तर पर स्थित कंट्रोल रूम को उपलब्ध कराएंगे । प्रतिदिन जिलावार प्रखण्डवार एवं राजस्व ग्रामवार संभावित रोगियों की संख्या, RK-39 किट द्वारा जाँच किये गये रोगियों की संख्या एवं धनात्मक रोगियों की संख्या राज्य स्तर पर स्थित कंट्रोल रूम को उपलब्ध करायी जायेगी । साथ ही प्रतिदिन घर-घर रोगी खोज में पाये गये संभावित रोगियों, धनात्मक रोगियों एवं इलाज सम्पन्न कराने वाले रोगियों की संख्या को केएएमआईएस सॉफ्टवेयर में प्रविष्ट किया जाना है।