छपरा: सारण जिले के गरखा प्रखंड के विभिन्न जगहों के साथ चैनपुर भैसवारा विद्यालय में आज संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक अखिलेश्वर पाठक ने कहा-संविधान हीं नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता के रूप में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम भारत के इतिहास में शुमार है ।14 अप्रैल 1891 ई को मध्य प्रदेश के महू स्थित सेना मि छावनी में बाबा साहेब का जन्म हुआ।
माता भीमा बाई और पिता राम जी सकपाल तथा एक ब्राह्मण शिक्षक अम्बेदकर का इनके जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा।यही कारण है कि अपने माता पिता के चौदहवें संतान होते हुए इनका नाम माता के भीम,पिता के राव और ब्राह्मण गुरु अम्बेदकर से मिलाकर रखा गया।ये बहुत होनहार थे आगे चलकर दलितों, कमजोर वर्ग के लोगों एवं महिलाओं के अधिकार के हिमायती तथा शोषण के विरुद्ध तलवार बनकर उभरे।इनकी दो शादियां हुईं पहली पत्नी रामा बाई जल्दी ही चल बसी तो 1948 में एक ब्राह्मण परिवार की लड़की से दूसरा विवाह हुआ जिन्हें हम सविता अम्बेदकर के नाम से जानते हैं ।अंततः शुगर की बीमारी के कारण भारतरत्न बाबा भीमराव अंबेदकर छह दिसंबर 1956 को दिल्ली में अपना देह त्याग किया।
इनके पूर्वज महाराष्ट्र के सतारा में रहते थे ।ये महार जाति के थे जो महादलित के अंतर्गत आता है।ये बम्बई प्रेसिडेंसी कॉलेज से बी ए करने के बाद कोलंबिया यूनिवर्सिटी एवं लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिकस से ऊंची डिग्री प्राप्त किये।बाबा साहब प्रख्यात बैरिस्टर थे और संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष रहे।