छपरा,30 मई: तम्बाकू सेवन के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर 31 मई को जिले में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रभातफेरी, पोस्टर मेकिंग, शपथ ग्रहण समारोह सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण (GATS 2017) के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 25.9 प्रतिशत वयस्क तथा ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (GYTS 2019) के आंकड़ों के अनुसार 13 से 15 आयु वर्ग की 7.3 प्रतिशत छात्र/छात्राएं तम्बाकू का सेवन करती हैं। जो राष्ट्रीय औसत 28.4 प्रतिशत एवं 8.5 प्रतिशत से बेहतर है। यह दर्शाता है कि तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में सफल एवं सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। तम्बाकू नियंत्रण के लिए किये गए प्रयासों के अंतर्गत अब तक राज्य के 23 जिले धूम्रपान मुक्त घोषित हैं। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इससे संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग तंबाकू सेवन के दुष्परिणामों को जानते हुए भी इसका सेवन करते हैं। खैनी, बीड़ी, सिगरेट, गुटका का सेवन अत्यधिक लोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही। कैंसर जैसी बीमारी को भी आमंत्रित करता है। बावजूद लोग इसका सेवन करने से परहेज नहीं करते हैं।
स्कूली बच्चों में भी बढ़ती जा रही तम्बाकू की लत:
बहुत से नुकसानदायक बीमारियों की शुरुआत के पीछे तम्बाकू का सेवन ही मुख्य कारण होता है। तम्बाकू के सेवन के प्रति रुचि आजकल न सिर्फ युवाओं में बल्कि स्कूली बच्चों में बढती जा रही है। तम्बाकू सेवन बहुत से गंभीर बीमारियों की जड़ है। इसलिए इसको रोकने और इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 31 मई को पूरे विश्व में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। बताते चलें कि विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की शुरुआत डब्ल्यूएचओ द्वारा 1987 में की गयी थी। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है।
जानलेवा बीमारियों की जड़ है तम्बाकू:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि तम्बाकू सेवन बहुत सी नुकसानदायक बीमारियों की जड़ है। कैंसर जैसी बीमारी भी तम्बाकू के सेवन से ही होती है। फेफड़ों की बीमारियां जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान ही है। क्रोनिक यानी लम्बे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली के कैंसर होने की सम्भावना ज्यादा होती है। दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा है। जिसकी मुख्य वजह अत्यधिक धूम्रपान का करना होता है। खैनी, पुड़िया, जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह के कैंसर(ओरल कैंसर) की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह की रोगों को पूरी तरह समाप्त करने के लिए धूम्रपान का खत्म होना ही सबसे जरूरी विकल्प है।