बिहार (पटना) : ये वही सरकार है जिसके मुख्यमंत्री से लेकर डिप्टी सीएम और तमाम मंत्री कुछ दिनों पहले तक एक बात दोहरा रहे थे – जो पियेगा,वो मरेगा। जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने का सवाल कहां उठता है। अचानक से आज नीतीश कुमार का हृदय परिवर्तन हुआ।
7 साल बाद उन्हें अंदाजा हुआ कि जहरीली शराब से मरने वाले सारे गरीब हैं, लिहाजा उनके परिवार को मदद दी जानी चाहिये। मुख्यमंत्री ने सोमवार की सुबह मुआवजा देने का एलान किया, उसके बाद राज्य सरकार ऐसे हरकत में आयी जैसे जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार के सबसे बडे हमदर्द वही हैं. राज्य सरकार के मंत्री से लेकर चीफ सेक्रेटी ने एक ही दिन में तीन प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मदद कैसे दी जायेगी. आनन फानन में इसका पत्र भी जारी कर दिया गया है और उसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जरूरी नहीं
जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजे के नीतीश के एलान के बाद सरकार ने तीन प्रेस कांफ्रेंस किये. संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया के सामने लंबी-चौड़ी सफाई दी.
उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि कैसे मुआवजा मिलेगा और फिर चीफ सेक्रेट्री के साथ मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने प्रेस कांफ्रेंस कर समझाया कि सरकार मुआवजा कैसे देगी। बिहार सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग के मंत्री सुनील कुमार और अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने अलग अलग प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक 2016 से अब तक जहरीली शराब से जितनी भी मौत हुई है उन सबों के परिजनों को मुआवजा दिया जायेगा.
सरकार ने मौत के पुराने मामलों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की अनिवार्यता भी समाप्त कर दिया है. यानि अगर किसी व्यक्ति की मौत के बाद पोस्टमार्टम नहीं हुआ फिर भी अगर जिला प्रशासन अगर ये कह दे कि जहरीली शराब से मौत हुई थी तो उसे मुआवजा दे दिया जायेगा। सरकार के मुताबिक जहरीली शराब से मौत के मामले में पीडित परिवार को जिला प्रशासन के पास आवेदन देना होगा.
जिला प्रशासन इसकी जांच करेगा कि वाकई जहरीली शराब से मौत हुई थी या नहीं. अगर जिला प्रशासन राज्य सरकार के पास ये रिपोर्ट भेज देता है कि जहरीली शराब से मौत हुई थी तो उस परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से 4 लाख रूपये की मदद दी जायेगी. लेकिन ये व्यवस्था सिर्फ 17 अप्रैल 2023 यानि आज तक के लिए ही है. आज के बाद अगर जहरीली शराब से मौत हुई तो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा मिलेगा। बता दें कि बिहार में 2016 से लेकर अब तक जहरीली शराब से मौत के आंकडों में खूब हेराफेरी हुई है.
जहरीली शराब से मौत के हर वाकये में मृतकों की जितनी संख्या सामने आयी उसे सरकार ने खारिज कर दिया. सरकारी आंकड़ा कई गुणा कम रहा. दरअसल सरकार ये कहती रही है कि मौत के बाद अगर पोस्टमार्टम हुआ औऱ उसमें ये कहा गया कि जहरीली शराब से मौत हुई है तभी उसकी गिनती की जायेगी. इसी आधार पर सरकार जहरीली शराब से मौत की संख्या को बेहद कम बताती रही है. अब सरकार ही मान रही है कि जिनका पोस्टमार्टम नहीं हुआ वे भी जहरीली शराब से मरे थे।
शराबबंदी के समर्थन की लिखित घोषणा पर मिलेगा मुआवजा
सरकार ने जहरीली शराब से मौत के मामले में एक दिलचस्प शर्त जोड़ा है. अगर जहरीली शराब से कोई मौत होती है तो मुआवजा मांगने आये परिजनों को लिखित तौर पर जिला प्रशासन के पास मुआवजा देना होगा. उन्हें लिखित तौर पर ये देना होगा कि वे शराबबंदी का समर्थन करते हैं और वे दूसरे लोगों को भी शराबबंदी के अभियान से जोडेंगे. शराबबंदी का प्रचार प्रसार करेंगे. इसके साथ ही उन्हें पुलिस को भी शराब के मामले की जांच में सहयोग करना होगा. इन शर्तों को पूरा करने पर ही मुआवजा मिलेगा।
आनन फानन में पत्र जारी
बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि जहरीली शराब से मौत के मामलों में मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार ने पत्र जारी कर दिया है. सरकार ने सभी जिलाधिकारी और एसपी को लेटर भेजा है. उनसे कहा गया है कि अगर कोई जहरीली शराब से मौत के बाद मुआवजे की मांग करता है तो उसके आवेदन की जांच कर रिपोर्ट सरकार को भेजी जाये. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही मुआवजा मिलेगा.