डॉक्टरों ने बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की, जन्मजात बीमारियों का किया पता

बिहार

शेरघाटी, 9 जून: शेरघाटी प्रखंड के गोपालपुर स्थित सोनेखाप आंगनबाड़ी केंद्र पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों द्वारा वृहस्पतिवार को कैंप लगाकर बच्चों में जन्मजात बीमारियों की जांच की गयी. इस दौरान पचास से अधिक बच्चों की लंबाई, वजन, पोषण की स्थिति, विकलांगता सहित शारीरिक विकास में रूकावट, कानों सहित अन्य प्रकार की बीमारियों की जांच की गयी. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रखंड के विभिन्न गांवों में कैंप लगाकर चिकित्सकों के दल द्वारा बच्चों में जन्मजात बीमारियों का पता लगाया जा रहा है. साथ ही श्रवण श्रुति कार्यक्रम की जानकारी दी जा रही है. बच्चों के जन्म से ही प्रतिक्रिया नहीं दिये जाने को बहरेपन की संभावित लक्षण, जरूरी जांच तथा इलाज के बारे में बताया जा रहा है.

पांच बच्चों में जन्मजात बहरेपन की समस्या चिन्हित:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक डॉ संजय प्रसाद ने बताया प्रखंड में पांच ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया है जिनमें बहरेपन की समस्या है. इन बच्चों को प्रभावती अस्पताल स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा जायेगा जहां उनके कानों की आवश्यक जांच होगी. इसके बाद बेहतर इलाज के लिए उच्च स्वास्थ्य संस्थान भेजे जायेंगे. प्रखंड के समदा, लोहरा भिखनपुर, चापी भुईं टोला से एक—एक तथा खरात गांव के दो बच्चों में बहरेपन की समस्या को चिन्हित किया गया है. इनमें सेरेब्रल पॉल्सी तथा हियरिंग लॉस की समस्या पायी गयी है. उन्होंने बताया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों में जन्मजात बीमारियों का पता लगा कर उन्हें आवश्यक इलाज मुहैया कराया जाता है. जन्मजात दिल की बीमारी जैसे दिल में छेद होना, जन्मजात मोतियाबिंद तथा बहरापन सहित फटा होठ एवं तालू, अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां सहित कुल 26 प्रकार की बीमारियों का इलाज होता है.

दिल के छेद का होता है नि:शुल्क आॅपरेशन:
डॉ संजय प्रसाद ने बताया मुख्यमंत्री बाल ह्रदय योजना की मदद से दिल में छेद वाले बच्चों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. ह्रदय की समस्या वाले बच्चों को चिन्हित कर आइजीआइएमएस अस्पताल भेजा जाता है. इसके बाद आवश्यक जांच के बाद अहमदाबाद में सर्जरी होती है. सभी प्रकार का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. मुख्यमंत्री बाल ह्रदय योजना की मदद से प्रखंड के पांच वर्षीय प्रांजल दीप का इलाज किया गया है और वह पूरी तरह स्वस्थ्य है.

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से लें जरूरी जानकारी:
यदि आपके घर में या आसपात जन्मजात विकृति या बीमारी वाले बच्चे हैं तो सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है. सर्वप्रथम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों की टीम ऐसे बच्चों की जांच कर इलाज के लिए चयन करती है. इसके बाद इसकी सूची जिला स्तर पर वरीय स्वास्थ्य अधिकारी को दी जाती है. काउंसलिंग के बाद बच्चे को इलाज के लिए उच्चतर स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाता है.

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