• सिविल सर्जन ने पत्र जारी कर दिया निर्देश
• वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित
छपरा,7 जून । यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के द्वारा पूरे भारत को वर्ष 2025 तक यक्ष्मा उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। सारण जिले को भी वर्ष 2025 तक यक्ष्मा उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है। जिसके लिए यह आवश्यक है कि जन समुदाय में यक्ष्मा रोग से संबंधित मरीजों को सुगमतापूर्वक यक्ष्मा की दवा प्राप्त हो सके । इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। सिविल सर्जन ने निर्देश दिया है कि ओपीडी काउंटर पर हीं यक्ष्मा की दवा वितरण करना सुनिश्चित किया जाये। ताकि यक्ष्मा मरीजों को भी एक ही स्थान से ससमय यक्ष्मा की दवा प्राप्त हो सके। अगर इस संबंध में वाह्य कक्ष से संबंधित कर्मचारी को प्रशिक्षण की आवश्यकता हो तो आपके यहाँ पदस्थापित यक्ष्मा सुपरवाइ जर से आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करा दी जाय।
टीबी मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास:
सीडीओ डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को 6 महीने तक दवा चलती है। इस अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाते हैं ।
बलगम की सीबीनॉट से जांच:
सीडीओ ने बताया कि जो मरीज पहले से दवा खाये रहते हैं उनकी बलगम की सीबीनॉट से जांच की जाती है । इस जांच से एमडीआर-टीबी यानी मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी का पता चलता है जिससे मरीजों के इलाज में सहूलियत होती है । टीबी शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है जैसे छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट, आदि । टीबी की सही समय पर जाँच होना बहुत ही आवश्यक होता है । तभी हम इस घातक बीमारी से बच सकते हैं । टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर भी सहयोग कर रहे हैं। टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर मरीजों को इलाज के साथ उनके कोर्स को पूर्ण करने के लिए भी मरीज को प्रेरित करें।
ये हैं टीबी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण :
• 15 दिन या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी या बुखार रहना
• बलगम में खून आना
• एक माह या इससे अधिक दिनों तक सीने में दर्द रहना
• लगातार शरीर वजन कम होना एवं कमजोरी महसूस होना