नई दिल्ली, 08 मई: उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप की एक याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया जिसके खिलाफ तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले के आरोप वाले फर्जी वीडियो कथित रूप से जारी करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने कश्यप को रासुका लगाये जाने के फैसले को किसी उचित न्यायिक मंच पर चुनौती देने की स्वतंत्रता दे दी।
न्यायालय ने कश्यप के खिलाफ सभी 19 प्राथमिकियों को मिलाने और उन्हें बिहार हस्तांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।
कश्यप इस समय तमिलनाडु की मदुरै जेल में बंद है। उसकी ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘‘हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।’’
इससे पहले शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार को कश्यप की संशोधित याचिका पर जवाब देने को कहा था। तमिलनाडु की ओर से वकील अमित आनंद तिवारी ने पक्ष रखा।
गिरफ्तार यूट्यूबर के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराई गयी हैं जिनमें तीन बिहार में दर्ज हुई हैं।
कश्यप के खिलाफ प्राथमिकियों को मिलाने और गृह राज्य में हस्तांतरित करने की उसकी याचिका पर न्यायालय ने 11 अप्रैल को केंद्र, तमिलनाडु और बिहार की सरकारों को नोटिस जारी किया था।