छपरा: जिले में स्तनपान को बढ़ावा देने तथा स्तनपान के प्रति समुदाय में जागरूकता लाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर एएनएम और सीएचओ के द्वारा गतिविधियों के माध्यम से स्तनपान के प्रति जागरूकता फैलायी जा रही है। इस दौरान आशा कार्यकर्ता महिलाओं की मंडली को जुटाकर मीटिंग कर स्तनपान के महत्व को बता रही हैं। वहीं स्वास्थ्य संस्थानों में हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान हेल्दी बेबी को खिलौना देकर प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।

स्तनपान के समर्थन के लिए संकल्प लेंगे स्वास्थ्यकर्मी:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर स्तनपान का समर्थन करने का संकल्प संस्थान पर कार्यरत सभी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा एक साथ लिया जाना है। प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थानों में “स्तनपान कक्ष का स्थापना किया गया है। यह स्तनपान कक्ष मुख्यत ओपीडी के पास स्थापित किया गया है। स्तनपान कक्ष स्वास्थ्य संस्थान में स्थापित केएमसी के अतिरिक्त होगी । सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जल्द से जल्द स्तनपान कक्ष स्थापित करना सुनिश्चित करें।
जन्म के प्रथम एक घंटे में स्तनपान कराने से नवजातों में मृत्यु की संभावना 20% तक कम:

सीएस डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जन्म के प्रथम एक घण्टे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजातों में मृत्यु की संभावना 20% तक कम हो जाती है। प्रथम 6 माह तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना क्रमश 11 गुणा एवं 15 गुणा कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर गैर-संचारी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
मां का दूध क्यों जरूरी:
मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चों के लिए अति आवश्यक होता है। , क्योंकि मां का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। मां का दूध बच्चों को डायरिया रोग होने से बचाता है। साथ ही साथ मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। मां का दूध पीने वाले बच्चे का तेजी से विकास होता है।