फाइलेरिया मरीजों के बीच कीट का हुआ वितरण, बचाव के बारे में दी गयी जानकारी

गोपालगंज

गोपालगंज: जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर समुदाय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। मांझा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.खुर्शीद जमाल द्वारा वीडीसीओ प्रशांत कुमार के उपस्थिति में एमएमडीपी किट का वितरण किया गया। मरीजों के बीच रोग नियंत्रण और घरेलू प्रबंधन के लिए उपचार किट प्रदान किया गया है। इसमें टब, साबुन, पाउडर आदि होता है। दवा भी साथ में दी जाती है। फाइलेरिया के रोगियों को अपने पांव का अधिक ख्याल रखना चाहिए। लोगों को फाइलेरिया के कारण व बचाव के प्रति सचेत किया जा रहा है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है। रोग का फैलाव मच्छर के काटने से फैलता है। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन, हाइड्रोसील और हाथीपांव के रूप में प्रकट होता है।वीडीसीओ प्रशांत कुमार ने एमएमडीपी किट के एक्सरसाइज करने के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सब से पहले नॉर्मल पैर को धोना है। उसके बाद इफेक्ट पैर को धोना है। तौलिया से दबाकर पोछना है। जहां कटा हुआ है उसे सूती कपड़ा से साफ करने के बाद मलहम लगाना है। हमें प्रतिदिन एक्सरसाइज करना है ।आगे उन्होंने बताया कि टब का पानी ऐसी जगह फेकना है जहां कोई बच्चा उस पानी को न पिए।

क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया:
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खुर्शीद जमाल ने बताया की फैलेरिया संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। हमें मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए। घर के आस- साफ – सफाई रखना चािहए। साल में एक बार फाइलेरिया और हाथी पॉव से बचाव के लिए दवा खिलाया जाता है। जो व्यक्ति स्वस्थ एवं योग्य है। उन्हें दवा जरूर खाना चाहिए। इस कार्यक्रम में कुल 36 हाथी पाव से ग्रसित रोगियों को एम एम डी पी किट का वितरण किया गया। बीएचएम सिद्धार्थ कुमार,बीसीएम श्री सुनील कुमार, के बि सी आशुतोष कुमार (केयर इंडिया), आशा फैसिलिटेटर,आशा के अलावा भी अन्य लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

दवा सेवन है जरूरी:
प्रत्येक वर्ष फाइलेरिया से बचाव के लिए सरकार की तरफ से एम डी ए प्रोग्राम चलाया जाता है। सर्वजन दवा सेवन के अंतर्गत 15 वर्ष से ऊपर के लोगों को अल्बेंडाजोल की एक गोली और डीसी का तीन गोली खिलाया जाता है। एमएमडीपी किट का एक्सरसाइज कैसे करना है इस पर विस्तार पूर्वक से बताया। टब का पानी ऐसी जगह फेकना है जहां कोई बच्चा उस पानी को ना पिए।

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