2021-03-24
पटना/ 24, मार्च: हर वर्ष 24 मार्च विश्व यक्ष्मा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष के विश्व टीबी दिवस की थीम ‘द क्लॉक इज टीकिंग’ रखी गयी है. यह थीम सही अर्थों में तात्कालिकता को दर्शाता है और टीबी को खत्म करने के वादों को पूरा करने के लिए विश्व के पास कम समय शेष होने का बोध कराता है. अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान एवं उनके ईलाज में सभी का सहयोग टीबी उन्मूलन का मूलमंत्र है. उक्त बातें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने बुधवार को शहर के एक होटल में विश्व यक्ष्मा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही.
वर्ष 2025 तक लक्ष्य करना है प्राप्त:
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि टीबी वर्तमान में सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है. भारत में टीबी के मामले विश्व में सबसे अधिक है. पूरे विश्व की तुलना में भारत में 27% टीबी के मरीज हैं. वहीं टीबी के कारण देश में प्रत्येक साल 4 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. इस दिशा में मजबूत इच्छाशक्ति और संकल्प दिखाते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने भारत को वर्ष 2025 तक टीबी से मुक्त करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की है, जिसे वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत प्राप्त करने का लक्ष्य है. उन्होंने बताया इसको लेकर बिहार में भी कई प्रयास किये जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों की प्रभावी पहचान के लिए राज्य भर में 70 सीवी-नेट मशीन हैं एवं अब 37 ट्रू-नेट मशीन भी राज्य को उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मेडिकल कॉलेज तक टीबी रोगियों की जाँच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध है. साथ ही टीबी अस्पतालों में मानव संसाधन की कमी हो पूरा करने के लिए सभी एसटीएस एवं एसटीएलएस के खाली पदों पर नई नियुक्ति जल्द ही पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन को बढ़ाने के लिए किसी आम व्यक्ति, निजी अस्पतालों एवं प्रैक्टिसनर को टीबी रोगियों की जानकारी देने पर 500 रूपये एवं उनके दवाओं के कोर्स खत्म होने पर पुनः 500 रूपये की प्रोत्साहन राशी भी दी जा रही है. साथ ही एमडीआर-टीबी के नोटिफिकेशन में 1500 रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. वहीँ टीबी रोगियों के उनके ईलाज के दौरान उनके बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500 रूपये की धनराशि भी दी जा रही है.
जनांदोलन से टीबी मुक्त समाज का सपना होगा साकार:
मंगल पाण्डेय ने कहा कि टीबी उन्मूलन प्रयासों को लंबे समय तक जारी रखते और इनपर पूर्णत: ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जी ने हाल ही में साल 2021 को पूरे देश में टयूबरक्लोसिस वर्ष के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार में सभी 38 जिलों में रोगी सहायता समूह (पेशेंट सपोर्ट ग्रूप) के माध्यम से पूरे मार्च महीने में अभियान चलाया जा रहा है. पेशेंट सपोर्ट ग्रूप रोगियों, टीबी सर्वाइवर, रोगियों की देखभाल करने वाले लोगों, स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि, धार्मिक गुरुओं तथा अन्य सरकारी पदाधिकारियों का एक समग्र समूह है.
उन्होंने कहा कि मार्च महीने में चलाए जा रहे जनांदोलन में अभी तक कुल 1640 जन-प्रतिनिधि, 232 धर्म गुरु, 1682 टीबी चैंपियन, 4541 ट्रीटमेंट सपोर्टर, 400 मीडिया पर्सन एवं 286 संगठन आदि ने अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित की. इसका लक्ष्य टीबी रोगियों को टीबी के इलाज के बेहतर अनुभवों के प्रति सक्षम बनाना है. इस जनांदोलन में रोगियों को सक्रिय सहभागी माना गया है. यह समूह ना सिर्फ रोगियों व उनकी सेवा-प्रदाताओं को रोगियों के स्वस्थ होने तक भावनात्मक सहयोग प्रदान करता है, बल्कि टीबी से स्वस्थ्य हुए लोगों की सहायता के लिए उन्हें सूचीबद्ध भी करता है. टीबी से जुड़े भेदभाव को दूर करने की जरूरत है।
टीबी अभियान में बेहतर प्रदर्शन करने वाले हुए सम्मानित:
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चयनित सूचकांकों पर उत्कृस्ट उपलब्धि हासिल करने वाले प्रथम तीन पदाधिकारियों, कर्मियों, रोग मुक्त टीबी चैंपियन एवं यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर योगदान देने के लिए प्राइवेट प्रैक्टिसनर को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के राज्य कार्यक्रम प्रबधंक रणविजय कुमार को मीडिया के माध्यम से टीबी जनांदोलन अभियान में सर्वाधिक सकारात्मक मीडिया कवरेज सुनिश्चित कराने में सहयोग करने के लिए मंगल पाण्डेय ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
इस दौरान टीबी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशिद्ध समाज सेवी उपेन्द्र विद्यार्थी, केयर इन्डिया के चीफ ऑफ़ पार्टी श्री सुनील बाबू, केयर इण्डिया के स्ट्रेटेजिक प्रोग्राम मैनेजर संजय सुमन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ सुब्रम्न्या बीपी, डॉ उमेश त्रिपाठी, क्लिंटन चाइल्ड हेल्थ इनिशिएटिव की डॉ. प्रणति, डॉ. युवराज सिंह सहित अन्य डेवलपमेंट पार्टनर के प्रतिनिधि शामिल हुए.