स्वास्थ्य विभाग ने फाइलेरिया संक्रमित मरीजों में स्वउपचारित किट का किया वितरण

बिहार राज्य

पूर्णिया, 05 मई: वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का पूरा ध्यान रखना होता है। ठीक तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता है। जिले में फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को संक्रमण से बचाव की जानकारी देने के साथ ही स्वउपचारित किट का वितरण करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के. नगर में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रखंड के 100 से भी अधिक फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को स्वउपचारित किट का वितरण किया गया। किट के रूप में मरीजों को एक टब, एक मग, कॉटन बंडल, तौलिया, डेटोल साबुन व एंटीसेप्टिक क्रीम दिया गया। इसके साथ ही सभी मरीजों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक कार्यों के क्रियान्वयन की जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल, भीबीडीओ रविनंदन सिंह, भीबीडीएस राजेश कुमार गोस्वामी, डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. दिलीप कुमार, केयर इंडिया डीपीओ चंदन कुमार, के. नगर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अहमर हसन, बीसीएम कंचन कुमारी, कालाजार ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अंजली रानी पोद्दार सहित फाइलेरिया संक्रमित मरीज, उनके परिजन व स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

किट वितरण के साथ ही मरीजों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने की दी गई जानकारी :
कार्यक्रम में सभी मरीजों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक दवाइयों के साथ सुरक्षा के लिए उपयोग किये जाने वाले किट का वितरण किया गया। मरीजों को जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए और सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डी.ई.सी. व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील व औरतों का स्तन शामिल है। हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता। संक्रमित व्यक्ति को समान्य उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वउपचार किट दिया जाता है जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति का ऑपरेशन सरकार द्वारा मुफ्त में करवाई जाती है।

फाइलेरिया ग्रसित अंग को पानी से साफ कर उसपर महलम लगाने का दिया गया निर्देश :
कार्यक्रम में फाइलेरिया ग्रसित सभी मरीजों को स्वउपचार किट देने के साथ ही उन्हें उसपर ध्यान रखने के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी दी गई। डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। इस स्थिति को एक्यूट अटैक कहा जाता है। इस स्थिति में कुछ मरीजों द्वारा गर्म पानी से पैर धोते हुए ब्लेड या कैंची से पैर के चमड़ों को काटते हैं। यह बिल्कुल गलत तरीका है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए। ऐसी स्थिति में पैर को लगातार साबुन से साफ करना चाहिए और सभी घाव के साथ पैरों और उनके अंगुलियों के बीच हुए क्रैक या गैप में एन्टीबैक्टेरियल एवं एन्टीफंगल क्रीम लगाना चाहिए। तेज बुखार होने पर मरीज पैरासिटामोल की गोलियों का उपयोग कर सकते हैं। पैर में ज्यादा जलन होने पर उसे ठंडे पानी में डालना चाहिए। इसके अलावा फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :
•पैरों से सम्बंधित व्यायाम करें
•पैरों की पूरी तरह सफाई करें
•पैरों को हमेशा उठाकर रखें
•पूरा पैर को दिन में कम से कम चार बार समान्य पानी से साफ करना चाहिए और उसपर क्रीम लगाना चाहिए।

विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाइलेरिया :
केयर इंडिया डीपीओ चंदन कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण फाइलेरिया है। पूरे विश्व का 73 देश इस समय फाइलेरिया संक्रमण के जोन में है। बिहार में भी सभी जिला में फाइलेरिया से ग्रसित मरीज उपलब्ध है। सरकार द्वारा फाइलेरिया से बचने के लिए साल में एक बार फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जाता है जिसमें सभी लोगों को इससे सुरक्षित रखने के लिए डी. ई. सी व अल्बेंडाजोल की दवा घर-घर तक पहुँचाई जाती है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित करते हुए फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को भी समाज के मुख्य धारा से जोड़ना है।

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